श्री गुरवे नम:
हर्योल्लास गुर्वोल्लास
आध्यात्मिक औकात
हरेक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या हैl
तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या हैll
संसार में हर कोई हमसे हमारी औकात देखकर व्यवहार करता हैl लेकिन भगवान को हमारी गिरी हुई औकात पर ही दया आती हैl सबूत?
सबूत उसे चाहिए जिसके मुंह से कभी न निकला हो कि ईश्वर की बड़ी कृपा है! और ना ही वह इस वाक्य को भविष्य में बोलने का इच्छुक होl
ऐसे लोगों के लिए है वह कृपा जो भगवान संतों के मध्यम से प्रकट करते हैंl श्री महाराजजी गौतम बुद्ध के जीवन की एक कथा बताते हैंl उनपर किसी कारण क्रुद्ध एक व्यक्ति सुबह से उनके सामने खड़ा हो गालियाँ देने लगाl काफी समय बीत जाने पर उसे थका देख गौतम बुद्ध ने अपने अनुयायियों से कहा इसे कुछ भोजन आदि दे दोl बेचारा थक गया हैl
एक संत को गंगा स्नान करते समय एक बिच्छू डूबता हुआ दिखाl संत ने उसे हथेली पर उठा कर किनारे पर रख दियाl बिच्छू ने संत की हथेली में काट लिया और फिर पलट कर पानी की ओर जा उसमे डूबने लगाl संत ने फिर उठाया, बिच्छू ने फिर काटाl कई बार यह क्रम देखकर किसी दूसरे स्नान करने वाले ने संत से कहा आप बार बार क्यों कष्ट सह रहे हैं एक बिच्छू को बचाने के लिए? संत ने कहा जब बिच्छू अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं कैसे छोड़ दूंl
संत हमें परनिंदा, परदोष चिंतन से बचा असहिष्णुता, करुणा, दान, दया आदि सिखा हमारी इंसान के रूप की औकात तो बढ़ाता ही है, साथ ही भग्वत्साधना करा कर हमें आध्यात्मिक लाभ दिलाने का इंतजाम भी करता हैl
क्रमश:............................
